305 Part
146 times read
0 Liked
एक दिन जिस भ्रमण-कहानी के बीच ही में अकस्मात् यवनिका डालकर बिदा ले चुका था, उसको फिर किसी दिन अपने ही हाथ से उद्धाटित करने की प्रवृत्ति मुझमें नहीं थी। मेरे ...